नैनीताल । उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से जुड़े स्टिंग मामले में शुक्रवार को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी , जो आज स्थगित कर दी गई है । इस सब के चलते अब इस मामले में अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी । हरीश रावत की ओर से इस मामले में पैरवी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कपिल सिब्बल हरीश रावत है । हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सीबीआई को हरीश रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दे दी है। CBI की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया था कि वह इस मामले में हरीश रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने जा रही है। इस पर हरीश रावत ने सीबीआई की ओर से इस मामले में जांच करने के अधिकार को चुनौती दी थी।
विदित हो कि वर्ष 2016 में उत्तराखंड कांग्रेस में जबरदस्त बगावत हुई थी । उस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में करीब 12 कांग्रेस विधायक हरीश रावत के खिलाफ सड़कों पर आ गए थे । ऐसे में बहुमत साबित करने के लिए हरीश रावत इन बागी विधायकों को प्रलोभन देते हुए एक स्टिंग में फंस गए थे । स्टिंग सामने आने के बाद हरीश रावत सरकार को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था, लेकिन, बाद में सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के बाद हरीश रावत सरकार बहाल की गई ।
इस मामले में पिछले दिनों सीबीआई ने हरीश रावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। इस पर हरीश रावत की ओर से कहा गा था कि जब राज्य सरकार ने राष्ट्रपति शासन के दौरान की गई सीबीआई जांच का नोटिफिकेशन वापस लिया था और जांच एसआईटी से कराने का निर्णय लिया था तो सीबीआई को जांच का अधिकार है ही नहीं।
उधर , एकलपीठ ने सीबीआई की रिपोर्ट पर कहा था कि उसके समक्ष मुख्य विचारणीय विषय 31 मार्च 2016 के सीबीआई जांच के राज्यपाल के आदेश, 2 फरवरी के अध्यादेश और 15 मई 2016 के राज्य सरकार द्वारा सीबीआई के बजाय एसआईटी से जांच के आदेश की वैधता की जांच करना है।